🌱 कुदरती खेती की ओर – रामलाल की नई शुरुआत 🚜
गाँव के छोटे किसान रामलाल के लिए खेती अब पहले जैसी फायदेमंद नहीं रही थी। हर साल खेती की लागत बढ़ती जा रही थी – महंगे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और बीजों की ऊँची कीमतें। इन सबने उसे कर्ज में डुबो दिया था। मौसम भी पहले जैसा नहीं रहा। कभी ज्यादा बारिश तो कभी सूखा – इन सब परेशानियों ने उसे हताश कर दिया था।
एक नई सीख
एक दिन गाँव में AgriDoot
द्वारा एक जागरूकता शिविर लगाया गया। वहाँ विशेषज्ञों ने शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "ZBNF का मतलब बिना कर्ज लिए और बिना रासायनिक उर्वरकों के खेती करना है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक तरीकों पर आधारित है।" यह सुनकर रामलाल और गाँव के अन्य किसान चौंक गए।
विशेषज्ञों ने समझाया कि यह तकनीक महाराष्ट्र के कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकर द्वारा विकसित की गई है। इसमें रासायनिक उर्वरकों की जगह गौमूत्र, गोबर, जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, जैविक खेती करने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
रामलाल का पहला प्रयास
रामलाल ने इस नई तकनीक को अपनाने का फैसला किया। उन्होंने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को छोड़कर जीवामृत और गौमूत्र से अपनी फसलों को पोषण देना शुरू किया। खेतों में मल्चिंग का उपयोग किया, जिससे मिट्टी में नमी बनी रही और खरपतवार भी कम हुए।
शुरुआत में कुछ कठिनाइयाँ आईं, लेकिन कुछ महीनों बाद, रामलाल ने देखा कि उसकी मिट्टी पहले से ज्यादा उपजाऊ हो गई थी। उसकी फसलें हरी-भरी और कीटों से सुरक्षित थीं। सबसे बड़ी राहत यह थी कि अब उसे महंगे उर्वरकों और कीटनाशकों पर खर्च नहीं करना पड़ रहा था। उसकी खेती अब पूरी तरह कर्ज-मुक्त हो गई थी!
गाँव में जागरूकता फैली
जब रामलाल की फसल अच्छी हुई, तो गाँव के दूसरे किसान भी प्रेरित हुए। उन्होंने रामलाल से इस नई तकनीक के बारे में सीखा और शून्य बजट प्राकृतिक खेती को अपनाने की ओर कदम बढ़ाया। सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER) जैसी योजनाओं के तहत उन्हें आर्थिक मदद भी मिलने लगी।
रामलाल की खुशी
कुछ ही सालों में गाँव के कई किसान ZBNF तकनीक से खेती करने लगे। रामलाल की मेहनत रंग लाई थी। अब उसकी फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हो गई थी और बाजार में अच्छी कीमत मिलने लगी थी।
एक दिन, गाँव के चौपाल में बैठकर रामलाल ने गर्व से कहा,
"अब हमारी खेती कर्ज मुक्त और ज़हरीले रसायनों से मुक्त है। यही असली प्रगति है!" 🌱
गाँव में अब कुदरती खेती की क्रांति शुरू हो चुकी थी! 🚜
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