ड्रैगन फ्रूट (कमलम) थाइलैंड, वियतनाम, इजरायल और श्रीलंका में लोकप्रिय हैं। यह विदेशी फल हैं। जो कि किसानों की आमदनी को दोगुना करती है, बल्कि इस फल के कई पोषक गुण भी हैं। यह फल आकर्षक दिखने के कारण इसकी बाजार में काफी मांग हैं। भारत में इसकी खेती हाल ही में प्रचलित हुई है। इस फल का नाम ड्रेगन फ्रूट से बदल के गुजरात सरकार ने कमलम कर दिया है। कई शहरी उपभोक्ता, जो मधुमेह, कार्डियो-वैस्कुलर और अन्य तनाव संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं, उन लोगों के लिए ड्रैगन फ्रूट बहुत फायदेमंद है।
भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से किसानो के लिए एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकता है। ड्रेगन फ्रूट को हिलोकेरेस (Hylocereus) वंश के पौधों से प्राप्त किया जाता है और इसकी खेती के लिए विशेष जलवायु और मृदा की आवश्यकता होती है।
जलवायु और स्थान चयन:
ड्रैगन फ्रूट उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छा उगता है।
तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।
इसे अधिक सूर्यप्रकाश की आवश्यकता होती है, लेकिन तेज धूप से बचाना भी जरूरी है।
मृदा की तैयारी:
ड्रैगन फ्रूट के लिए अच्छी जलनिकासी वाली, रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है।
मृदा का pH स्तर 5.5-7 के बीच होना चाहिए।
खेत को अच्छी तरह से जुताई कर के, जैविक खाद मिलाएं।
ड्रैगन फ्रूट (कमलम) के प्रकार
यह तीन प्रकार के होते हैं-
सफेद गुदे वाला लाल रंग का फल,
सफेद गुदे वाला पीले रंग का फल,
लाल गुदे वाला लाल रंग का फल।
बुवाई का उचित समय
ड्रैगन फ्रूट के पौधे जून से अगस्त तक गर्म और आर्द्र वातावरण में प्रत्यारोपण कर सकते हैं।
प्रवर्धन और रोपाई:
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को तनों की कटिंग या बीज से उगाया जा सकता है, लेकिन तनों की कटिंग से उगाना अधिक प्रचलित है।
तनों की कटिंग को 20-30 सेमी लंबा काटकर, उसे 1-2 दिनों तक सूखा लें और फिर उसे मिट्टी में लगाएं।
पौधों को 2.5-3 मीटर की दूरी पर लगाएं।
सहारा देना:
ड्रैगन फ्रूट एक बेलनुमा पौधा है, जिसे सहारे की जरूरत होती है।
पौधों के लिए खंभे या ट्रीलीस का उपयोग करें।
प्रत्येक पौधे को 1.5-2 मीटर ऊंचे खंभे के साथ बांधें।
सिंचाई:
ड्रैगन फ्रूट को नियमित रूप से पानी देने की जरूरत होती है, लेकिन अधिक पानी नहीं देना चाहिए।
बरसात के मौसम में पानी की मात्रा कम करें।
खाद और उर्वरक:
नियमित रूप से जैविक खाद और वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करें।
पौधों की बढ़वार और फलन के लिए NPK उर्वरक का प्रयोग करें।
कीट और रोग नियंत्रण:
ड्रैगन फ्रूट के पौधों पर कीट और रोगों का ध्यान रखें।
जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें और नियमित निरीक्षण करें।
फसल की कटाई:
मई जून में इसमें फूल आते हैं। अगस्त से दिसंबर तक फल लगते हैं। मानसून में ड्रैगन फूट तैयार होता है।
ड्रैगन फ्रूट की कटाई 30-50 दिनों में की जा सकती है जब फल पूरी तरह से परिपक्व हो जाएं।
फलों का रंग बदलने पर उन्हें तोड़ लें।
फलों का संग्रहः
ड्रैगन फ्रूट को कमरे के तापमान यानी 25 डिग्री सेल्सियस पर 5 से 7 दिन तक संग्रह किया जा सकता है। 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इसे 22 दिन तक संग्रहित किया जा सकता हैं।
बाजार और विपणन:
ड्रैगन फ्रूट की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ रही है।
इसे सीधे बाजार में बेच सकते हैं या स्थानीय व्यापारियों से संपर्क कर सकते हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में थोड़ी अधिक मेहनत की जरूरत होती है, लेकिन इसके फल का बाजार मूल्य अच्छा होता है, जिससे किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
(Khushi)
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