अगर आपकी फसल 1 महीने की हो गई है तो ये जानकारी आपके लिए है...फसल सलाह: कवकीय तथा कीट रोगों का नियंत्रण

चने की फसल की उत्पादन विधि में उचित प्रबंधन बेहद आवश्यक है, विशेष रूप से कवकीय रोगों और कीट प्रकोप के नियंत्रण के लिए। यहां कुछ महत्वपूर्ण निवारक उपाय दिए गए हैं जो किसान भाईयों को अपनी फसल की सुरक्षा और उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगे।



1. सूखे पौधों / कवकीय रोगों का नियंत्रण (30-40 दिन पुरानी फसल)

यदि आपके चने के पौधे 30-40 दिन के हैं और उनमें सूखापन नजर आ रहा है, तो **कैप्टान 70% WP + हेक्साकोनाजोल 5% WP** का मिश्रण 200-250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2. कैटरपिलर का प्रकोप

कैटरपिलर के प्रकोप की स्थिति में, **एमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG** का 80-100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रभावी ढंग से छिड़काव करें।

3. कीट प्रकोप पर निगरानी (अंकुरित फसल)

अपने अंकुरित चने की फसल में नियमित रूप से कीटों की निगरानी करें। यदि कीटों का प्रकोप दिखे, तो ठोस प्रबंधन के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का स्प्रे करें।

4. थ्रिप्स और कटवर्म कैटरपिलर का नियंत्रण

अधिक मात्रा में थ्रिप्स या कटवर्म कैटरपिलर देखे जाने पर, **क्विनालफोस 20 EC** का 1 लीटर 500-600 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

5. कैटरपिलर की निगरानी और नियंत्रण

कैटरपिलर के नियमित अवलोकन के लिए, यदि उन्हें पाया जाए तो **ट्रायजोफॉस** का 750 मिलीलीटर 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

6. टॉपिंग / निपिंग (समय पर बोई गई फसल)

चने के पौधों की टॉपिंग या निपिंग 35-40 दिन की अवस्था में करें, जब पौधे की ऊचाई 15-20 सेमी हो। पहली सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद करें।

7. अंकुरण / वनस्पतिक विकास चरण (कैटरपिलर नियंत्रण)

टी-आकार के पक्षी आसन (20-25 प्रति हेक्टेयर) और फेरोमोन ट्रैप्स (8 प्रति हेक्टेयर) का प्रयोग करें। यदि प्रकोप बढ़ता है, तो **एमामेक्टिन बेंजोएट** का 10 मिलीलीटर प्रति पंप छिड़काव करें। प्रारंभिक बोई गई फसल की सिंचाई 30-35 दिन बाद करें।

8. वनस्पतिक विकास (कली हटाना)

बुवाई के 30-40 दिन बाद अपिकल कली को हटाएं ताकि पौधों में शाखाओं का विकास हो सके।

9. शाखा विकास चरण (कैटरपिलर / रूट रोट रोग)

अधिक शाखाओं के लिए, ऊपरी तने को 30-35 दिन की अवस्था में काटें। कैटरपिलर को नियंत्रित करने के लिए टी-आकार के पक्षी आसन और फेरोमोन ट्रैप्स का प्रयोग करें। लगातार प्रकोप पर **ट्रायजोफॉस** का 800 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। रूट रोट के लिए, जड़ों के चारों ओर मिट्टी को **रिडोमिल** के 1.5-2.0 ग्राम/लीटर पानी के घोल से उपचारित करें।


Writer- Khushi Paradhkar

महत्वपूर्ण नोट:

यह सलाह सामान्य कृषि प्रथाओं पर आधारित है। कृपया क्षेत्र-विशिष्ट सटीक जानकारी के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों या भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की नवीनतम एडवाइजरी का पालन करें। इस प्रकार के सावधानीपूर्वक प्रबंधन से आप अपनी चने की फसल की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

सावधानी:

1. निषेधात्मक उपाय: कीटनाशकों का उपयोग करने से पहले हमेशा पैकेट पर दिए गए निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें। 

2. सुरक्षात्मक उपकरण: कीटनाशक छिड़काव के समय रक्षात्मक उपकरण जैसे मास्क, दस्ताने और चश्मे का उपयोग करें।

3. बचाव उपाय: यदि किसी कीटनाशक से चमड़ी पर एलर्जी या प्रतिक्रिया हो, तो तुरंत धो लें और चिकित्सकीय सलाह लें।

4. बच्चों और पालतू जानवरों से दूरी: कीटनाशक छिड़काव करते समय बच्चों और पालतू जानवरों को फसल क्षेत्र से दूर रखें।

जिम्मेदारी का अस्वीकरण:

इस सूचना में दी गई सलाह सामान्य कृषि प्रथाओं पर आधारित है और विशेष परिस्थितियों में परिणाम भिन्न हो सकते हैं। हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं कि सभी उपाय हर किसान के लिए समान रूप से प्रभावी होंगे। किसानों को अपने स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करना चाहिए और प्रबंधन विकल्पों का चुनाव करते समय अपनी विशेष परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए। 

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