अंगूर की खेती में डाउनी मिल्ड्यू और पाउडरी मिल्ड्यू रोगों का रासायनिक प्रबंधन

परिचय

भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और कई अन्य राज्यों में अंगूर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। लेकिन इस फसल में डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew) और पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) जैसे रोग गंभीर समस्या बन सकते हैं। यदि इनका समय पर प्रबंधन नहीं किया जाए, तो 50-75% तक फसल नुकसान होने की संभावना रहती है। इस लेख में इन रोगों के लक्षण, प्रभाव और उनके प्रभावी रासायनिक नियंत्रण पर चर्चा की गई है।


डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew) रोग

डाउनी मिल्ड्यू का परिचय

यह रोग गर्म और आर्द्र जलवायु में तेजी से फैलता है और अंगूर के पत्तों, फलों और कोमल शाखाओं को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण पत्तियां झड़ जाती हैं, फल खराब हो जाते हैं, और नई टहनियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आती है।

लक्षण

✅ पत्तियों के ऊपरी भाग पर पीले, तैलीय धब्बे दिखाई देना।
✅ इन्हीं धब्बों के नीचे सफेद, रूई जैसे कवक का विकास।
✅ संक्रमित कोमल शाखाएं मोटी होकर मुड़ जाती हैं और अंततः सूख जाती हैं।
✅ फूलों के गुच्छों और छोटी टहनियों पर सफेद फफूंद की परत दिखना।

डाउनी मिल्ड्यू के लिए रासायनिक नियंत्रण

चरण (Stage) रासायनिक संघटक (Chemical Name) खुराक (Dose)
कलिका प्रस्फुटन (Bud Burst) चरण प्रोपीनेब 70% WP (Propineb 70% WP) 300 ग्राम/100 लीटर पानी
पत्तियों और बढ़वार (Vegetative) चरण आईपीरोडियन 25% + कार्बेन्डाजिम 25% WP (Iprodione 25% + Carbendazim 25% WP) 900 ग्राम/एकड़


फूल आने और फूलन (Flowering) चरण फ्लुओपिकोलाइड 62.5% + फॉस्फोनाइल एल्युमिनियम 25% WG (Fluopicolide 62.5% + Fosetyl Aluminium 25% WG) 900-1000 ग्राम/एकड़



पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) रोग

पाउडरी मिल्ड्यू का परिचय

यह रोग गर्म और शुष्क मौसम में अधिक तेजी से फैलता है और अंगूर की पत्तियों, टहनियों और फलों पर सफेद पाउडर जैसी परत बना देता है। यह रोग प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करता है, जिससे फल छोटे, बदरंग और खराब गुणवत्ता के हो जाते हैं।

लक्षण

✅ पत्तियों की ऊपरी सतह पर सफेद, चूर्ण जैसी परत बनना।
✅ संक्रमित पत्तियों का किनारा ऊपर की ओर मुड़ जाना।
✅ कोमल टहनियों पर काले-भूरे धब्बे बनना।
✅ फलों और तनों पर सफेद कवक की परत दिखाई देना।

पाउडरी मिल्ड्यू के लिए रासायनिक नियंत्रण

चरण (Stage) रासायनिक संघटक (Chemical Name) खुराक (Dose)
फूल आने और फूलन (Flowering) चरण ट्राईफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25% + टेबुकोनाज़ोल 50% WG (Trifloxystrobin 25% + Tebuconazole 50% WG) 70 ग्राम/एकड़


बेर सेटिंग (Berry Setting) चरण फ्लुओपिराम 20% + टेबुकोनाज़ोल 20% SC (Fluopyram 20% + Tebuconazole 20% SC) 225 मिली/एकड़

सावधानियां और अन्य उपाय

नियमित सर्वेक्षण: अंगूर के बागानों की समय-समय पर जांच करें और यदि कोई लक्षण दिखें तो तुरंत उचित उपचार करें।
संतुलित सिंचाई: अत्यधिक नमी या सूखे से बचाव करें।
छिड़काव का सही समय: रासायनिक छिड़काव सुबह या शाम के समय करें ताकि प्रभावी परिणाम मिल सके।
रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन: अच्छी गुणवत्ता वाली किस्मों को प्राथमिकता दें।


डिस्क्लेमर (Disclaimer)

👉 यह जानकारी केवल शैक्षिक और मार्गदर्शन के उद्देश्य से प्रदान की गई है। किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे छिड़काव से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञों, कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK), या संबंधित संस्थानों से परामर्श लें। सभी रसायनों का उपयोग कृषि वैज्ञानिकों के दिशानिर्देशों के अनुसार ही करें और छिड़काव के समय सुरक्षा नियमों का पालन करें।


निष्कर्ष

डाउनी मिल्ड्यू और पाउडरी मिल्ड्यू अंगूर की खेती के लिए गंभीर खतरे हैं, लेकिन समय पर सही रासायनिक प्रबंधन द्वारा इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। किसानों को चाहिए कि वे रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें, नियमित निरीक्षण करें और उचित छिड़काव कार्यक्रम अपनाएं ताकि अंगूर की गुणवत्ता और उत्पादन को सुरक्षित रखा जा सके।

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