खेतों की विरासत और बदलाव का सपना
राधेश्याम का खेती से जुड़ाव उनके पिता के समय से ही था। उनके पिता 3 एकड़ में परंपरागत खेती करते थे। 12वीं पास करने के बाद राधेश्याम ने खेती में बदलाव लाने की ठानी। उन्होंने जैविक खेती की संभावनाओं को पहचाना और अपनी पारिवारिक खेती को एक नवाचार और स्थायी खेती का रूप दे दिया। 🌟
शुरुआती संघर्ष
राधेश्याम को शुरू में अपनी उपज बेचने और प्रचारित करने में काफी कठिनाई हुई। लेकिन जब उन्हें भोपाल, मध्य प्रदेश से जैविक प्रमाणपत्र मिला, तो उनकी यात्रा ने एक नया मोड़ लिया। इससे उनके उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़ी और जैविक खेती में उनकी पहचान बनी। 🏆
विविध फसल उत्पादन: मसालों से लेकर औषधीय पौधों तक
3 एकड़ से शुरुआत करने वाले राधेश्याम अब 22 एकड़ उपजाऊ जमीन पर खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपनी खेती में विविधता लाते हुए हल्दी, मिर्च, लहसुन, धनिया जैसे मसाले और अश्वगंधा, तुलसी, सतावर, इसबगोल जैसे औषधीय पौधे उगाए। इन फसलों की विविधता ने उन्हें विभिन्न बाजारों की मांग पूरी करने में सक्षम बनाया। 🌶️🌿
'मालवमति' ब्रांड की पहचान
राधेश्याम ने अपने उत्पादों का विपणन खुद किया। उन्होंने कृषि मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेकर सीधे ग्राहकों से जुड़ने का प्रयास किया। उनके उत्पाद 'मालवमति' के नाम से जाने जाते हैं, जो गुणवत्ता और शुद्धता का प्रतीक बन गए। 🏷️✨
किसानों को सशक्त बनाना: प्रशिक्षण स्कूल
राधेश्याम ने किसानों की समस्याओं को समझने के लिए एक प्रशिक्षण स्कूल की शुरुआत की। उन्होंने 6,000 से अधिक किसानों को जैविक खेती की तकनीक सिखाई। इससे न केवल किसानों की आमदनी दोगुनी हुई, बल्कि वे जैविक खेती अपनाकर अपने कृषि व्यवसाय में सफल हो रहे हैं। 📚👨🏫
पुरस्कार और मान्यता 🏅
राधेश्याम के प्रयासों को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जैसे:
- जैविक खेती में प्रथम पुरस्कार (राज्य स्तर)
- धरतीमित्र पुरस्कार (2017)
- महिंद्रा एंड महिंद्रा से कृषि भूषण पुरस्कार
- जैव विविधता पुरस्कार (राज्य स्तर पर प्रथम स्थान)
- MFOI पुरस्कार 2024 (राष्ट्रीय स्तर)
आर्थिक सफलता
राधेश्याम की खेती से सालाना ₹18-20 लाख की कमाई होती है, जिसमें ₹15 लाख का मुनाफा शामिल है। उनका मॉडल यह दर्शाता है कि जैविक खेती, सही विपणन और प्रोसेसिंग के साथ, एक अत्यंत लाभकारी व्यवसाय हो सकती है। 💸
संदेश: खेती को व्यवसाय बनाएं
राधेश्याम किसानों को सलाह देते हैं कि वे अपनी सप्लाई चेन को नियंत्रित करें और सीधे ग्राहकों को उत्पाद बेचकर अधिक लाभ कमाएं। वे जैविक खेती अपनाने और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती को एक व्यवसाय और जीवनयापन का साधन बनाने का संदेश देते हैं। 🌍💡
राधेश्याम परिहार की कहानी यह दिखाती है कि कैसे पारंपरिक खेती को आधुनिक और स्थायी खेती में बदला जा सकता है। उनकी सफलता हर किसान के लिए प्रेरणा है। 🌾🌟
सौजन्य: कृषि जागरण
0 Comments