"बारिश-ओलावृष्टि के बाद आम के बागानों में कीटों का खतरा: उत्तर प्रदेश के बागवानों के लिए चेतावनी"


मौसम की मार से पहले सावधान हो जाएं बागवान

उत्तर प्रदेश में आम की तुड़ाई का मौसम जून से शुरू होता है। बागवान इस समय का बेसब्री से इंतजार करते हैं जब दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली और चुआसा जैसे किस्मों के आम मंडियों में पहुंचते हैं। लेकिन इस बार मौसम का मिज़ाज कुछ अलग है। हाल ही में प्रदेश के कई हिस्सों में हुई भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण अब आम के बागानों में कीटों के प्रकोप की आशंका जताई जा रही है।

बारिश और आर्द्रता बना रही कीटों के लिए अनुकूल माहौल

आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH), लखनऊ के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन के अनुसार, भले ही प्रदेश में आम की कुल उपज पर कोई बड़ा प्रभाव न पड़े, लेकिन इन मौसमी परिवर्तनों के कारण आम उत्पादन करने वाले कुछ क्षेत्रों में कीटों का खतरा बढ़ गया है। विशेषकर आर्द्र और गीली मिट्टी की स्थिति, फलों की सुरक्षा के लिए चिंता का कारण बन रही है।

फल मक्खियों और थ्रिप्स: दो बड़े दुश्मन

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस समय आम के बागानों में दो प्रकार के कीट तेजी से सक्रिय हो सकते हैं—फल मक्खियाँ और थ्रिप्स। बारिश के बाद नमी बढ़ने से इन कीटों के प्रजनन और गतिविधि के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है। यदि इन पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो इनकी संख्या बढ़ती जाएगी और फल पकने से पहले ही उनकी गुणवत्ता को नुकसान पहुँच सकता है।

समय पर कार्रवाई न करने पर हो सकता है भारी नुकसान

इन कीटों की पहली पीढ़ी यदि नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो आने वाले हफ्तों में इनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ सकती है। इससे आमों की गुणवत्ता और बाजार में उनकी बिक्री पर विपरीत असर पड़ेगा, जिससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है।

मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप: एक सरल और प्रभावी उपाय

कीटों से निपटने के लिए पहला उपाय है मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप का प्रयोग। यह ट्रैप बाजार में उपलब्ध है और इसे 1.5 से 2 मीटर की ऊंचाई पर, पेड़ के छायादार भाग में लटकाकर लगाया जाता है। यह विशेष रूप से नर फल मक्खियों को आकर्षित कर नियंत्रित करने में कारगर है।

गुड़ और कीटनाशक से तैयार करें ज़हरीला चारा

दूसरा उपाय है गुड़ आधारित ज़हरीले चारे का छिड़काव। इसके लिए 20 ग्राम गुड़ को 100 भाग पानी और 1 मिली/लीटर मैलाथियान 50 ईसी या अन्य संपर्क कीटनाशक के साथ मिलाएं। इस मिश्रण का छिड़काव पेड़ के तने, निचली शाखाओं और पत्तियों पर करें।

छिड़काव का सही समय और बारंबारता

छिड़काव सुबह या देर दोपहर को करना चाहिए। बारिश के समय या तेज धूप में छिड़काव करने से बचना चाहिए। बेहतर परिणाम के लिए इस प्रक्रिया को हर 7 से 10 दिन में दोहराने की सलाह दी गई है।

निष्कर्ष: थोड़ी सतर्कता से बच सकती है पूरी फसल

उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां से देश के कुल आम उत्पादन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा आता है, वहां इस तरह की मौसमी आपदाओं के बाद किसानों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। यदि वैज्ञानिकों की सलाह को गंभीरता से अपनाया जाए, तो न केवल फसल की गुणवत्ता बनी रहेगी, बल्कि बागवानों की मेहनत और आम की मिठास भी सुरक्षित रहेगी।


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